Tuesday, 11 July 2017

सोचता हु कि वो कितना मासूम थी क्या से क्या हो गई देखते देखते
जाम से प्याला भरा था अभी तक खत्म कब हो गई देखते देखते
उनके राहो पर दिल के मंजर से चुन चुनकर कितने फूल बिछाया
सख्त लहजों से मसलकर मेरे मन को कहा चली गइ देखते देखते
गम की बदलियों को छांट कर उनके आलम को मैने आराइश किया
दुख का पलड़ा झुका मेरे हिस्से अब जिंदगी दोजख हो गइ देखते देखते
ठोकरो से अनुभवो से सीख लिया मुहब्बत ना करुंगा किसी से कभी
उनसे आंखें लड़ी और मुहब्बत हुई अनुभव फीकी पड़ी देखते देखते
तु मिली हमसफर तो तराश लिए हम तसव्वुर का अपना मकां
एक झोंका आ तवस्सुम छिन लिया और आशियां टुट गई देखते देखते

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