Tuesday, 11 April 2017

वर्षा बरस जा जरा हू तेरे दीदार को खड़ा

वर्षा बरस जा जरा
हू तेरे दीदार को खड़ा

वर्षा पे रागिनी मेढको ने बनाई है
कैसे कैसे राज अब सामने आई है
राज को कोइ सुलझा
क्यू मेरा मन तडपा

बर्षा बरस जा जरा

भवरो ने कलियों से प्यार किया है
 डरते डरते इजहार किया है
इजहार से क्या होगा
क्या उसने भी सोचा

बर्षा बरस जा जरा

कैसे बिना तेरे मै रह पाउंगा
गम की आग ना सह पाउंगा
आग को कोइ बुझा
जलने से दिल को बचा

बर्षा बरस जा जरा

मेरे दिल मे तो तु है,तेरे दिल मे मैं ना आया
ना मैने तुझको रुलाया,ना तुने मुझको हंसाया
इकबार मुझको हंसा
रोता जाऊ मै तो कहां

बर्षा बरस जा जरा

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