Tuesday, 21 November 2017

कही कोई हमारा होता, कभी कोई सहारा होता,
तू अगर ना होती, कहो कैसे गुजारा होता
तेरे दिल में चल बसा था, तेरे दिल से चल बसा हू
जो दिन अब भी ओ होते, तो कैसा नजारा होता
दिल मे अंगारे धधक रहा है, आंगन में लगी आग है
बुझ जाती बिन बुझाए ही, जो पास नदी का किनारा होता
निकलकर अश्क आँखो से रुक जाते हैं अधरों पर आकर
चुराकर इसे पी लेता, ग़र इतना न ए खारा होता
दिल पत्थर बन चुका है इश्क की तपिश को सह कर
 क्या हाल ऎसा होता, जो ये दिल तुम्हारा होता 

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दिल क्यू मचलता है 'आशीष'

अभी नफरत है मुहब्बत का कहर भी आएगा ओ होगी मेरी, मेरी चाहत का असर भी आएगा क्या जाने किस जहां मे हुआ है गुम वो मुकम्मल तलाश होगी तो नजर...