Sunday, 18 June 2017

सामने आया Facebook का चौंकाने वाला सच आप भी पढ कर दंग रह जाओगे !


फेसबुक की हकीकत: 

काली-कलूटी लड़की फेसबुक पर नाम White Angel, 

मोटा गैंडा लड़का फेसबुक पर नाम Smart Guy, 

अँधेरे से भी डरने वाला लड़का फेसबुक पर नाम The Killer,

मोहल्ले की सबसे देसी लड़की फेसबुक पर नाम Princess Rocks

 45 साल की आंटी फेसबुक पर नाम The Doll Returns 

60 साल का बाबा फेसबुक पर नाम The King 

ऐसे फेसबुक नामों से सावधान क्योंकि हो सकता है कि आप भी इनका शिकार हो जायें। 

Sunday, 11 June 2017

*आवश्यक सुचना* IMPORTANT NOTICE FOR STUDENTS



अगर आप पढने मे कमजोर हैं तो

 इस बात की चर्चा ज्यादा ना करे !

वरना आपके दुश्मन बदले की

भावना से आपको टाॅप करवा सकता है।

आगे ........

 आपकी मर्ज़ी ।।
जनहित मे जारी 

Monday, 5 June 2017

एक मध्यमवर्गीय कुत्ता (हरिशंकर परिसाइ)

मेरे मित्र की कार बंगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा,“इनके यहां कुत्ता तो नहीं है?“मित्र ने कहा, “तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!”मैंने कहा, “आदमी की शक्ल में कुत्ते से नहीं डरता. उनसे निपट लेता हूं. पर सच्चे कुत्ते से बहुत डरता हूं.“कुत्तेवाले घर मुझे अच्छे नहीं लगते. वहां जाओ तो मेजबान के पहले कुत्ता भौंककर स्वागत करता है. अपने स्नेही से “नमस्ते“ हुई ही नहीं कि कुत्ते ने गाली दे दी- “क्यों यहां आया बे? तेरेबाप का घर है? भाग यहां से !”फिर कुत्ते का काटने का डर नहीं लगता- चार बार काट ले. डर लगता है उन चौदह बड़े इंजेक्शनों का जो डॉक्टर पेट में घुसेड़ता है. यूं कुछ आदमी कुत्ते से अधिक ज़हरीले होते हैं. एक परिचित को कुत्ते ने काट लिया था. मैंने कहा,”इन्हें कुछ नहीं होगा. हालचाल उस कुत्ते का पूछो और इंजेक्शन उसे लगाओ.”एक नये परिचित ने मुझे घर पर चाय के लिए बुलाया.मैं उनके बंगले पर पहुंचा तो फाटक पर तख्ती टंगी दीखी-”कुत्ते से सावधान !” मैं फ़ौरन लौट गया.कुछ दिनों बाद वे मिले तो शिकायत की,”आप उस दिन चाय पीने नहीं आये.” मैंने कहा,“माफ़ करें. मैं बंगले तक गया था. वहां तख्ती लटकी थी- ‘कुत्ते से सावधान.‘ मेरा ख़्याल था, उस बंगले में आदमी रहते हैं. पर नेमप्लेट कुत्ते की टंगी हुई दीखी.“यूं कोई-कोई आदमी कुत्ते से बदतर होता है. मार्क ट्वेन ने लिखा है- ‘यदि आप भूखे मरते कुत्ते को रोटी खिला दें, तो वह आपको नहीं काटेगा.‘ कुत्ते में और आदमी में यही मूल अंतर है.बंगले में हमारे स्नेही थे. हमें वहां तीन दिन ठहरना था. मेरे मित्र ने घण्टी बजायी तो जाली केअंदर से वही ”भौं-भौं” की आवाज़ आयी. मैं दो क़दम पीछे हट गया. हमारे मेजबान आये. कुत्ते को डांटा- ‘टाइगर, टाइगर!’ उनका मतलब था- ‘शेर, ये लोगकोई चोर-डाकू नहीं हैं. तू इतना वफ़ादार मत बन.‘कुत्ता ज़ंजीर से बंधा था. उसने देख भी लिया था कि हमें उसके मालिक खुद भीतर ले जा रहे हैं पर वह भौंके जा रहा था. मैं उससे काफ़ी दूर से लगभगदौड़ता हुआ भीतर गया. मैं समझा, यह उच्चवर्गीय कुत्ता है. लगता ऐसा ही है. मैं उच्चवर्गीय का बड़ा अदब करता हूं. चाहे वह कुत्ता ही क्यों न हो. उस बंगले में मेरी अजब स्थिति थी. मैं हीनभावना से ग्रस्त था- इसी अहाते में एक उच्चवर्गीय कुत्ता और इसी में मैं! वह मुझे हिकारत की नज़र से देखता.शाम को हम लोग लॉन में बैठे थे. नौकर कुत्ते को अहाते में घुमा रहा था. मैंने देखा, फाटक पर आकर दो ‘सड़किया‘ आवारा कुत्ते खड़े हो गए. वे सर्वहारा कुत्ते थे. वे इस कुत्ते को बड़े गौर से देखते. फिर यहां-वहां घूमकर लौट आते और इस कुत्ते को देखते रहते. पर यह बंगलेवाला उन पर भौंकता था. वे सहम जाते और यहां-वहां हो जाते. पर फिर आकर इस कु्ते को देखने लगते. मेजबान ने कहा,“यह हमेशा का सिलसिला है. जब भी यह अपना कुत्ता बाहर आता है, वे दोनों कुत्ते इसे देखते रहते हैं.“मैंने कहा, “पर इसे उन पर भौंकना नहीं चाहिए. यह पट्टे और ज़ंजीरवाला है. सुविधाभोगी है. वे कुत्ते भुखमरे और आवारा हैं. इसकी और उनकी बराबरी नहीं है. फिर यह क्यों चुनौती देता है!”रात को हम बाहर ही सोए. ज़ंजीर से बंधा कुत्ता भी पास ही अपने तखत पर सो रहा था. अब हुआ यह कि आसपास जब भी वे कुत्ते भौंकते, यह कुत्ता भी भौंकता. आखिर यह उनके साथ क्यों भौंकता है? यह तो उन पर भौंकता है. जब वे मोहल्ले में भौंकते हैं तो यह भी उनकी आवाज़ में आवाज़ मिलाने लगता है, जैसे उन्हें आश्वासन देता हो कि मैं यहां हूं, तुम्हारे साथ हूं.मुझे इसके वर्ग पर शक़ होने लगा है. यह उच्चवर्गीय कुत्ता नहीं है. मेरे पड़ोस में ही एक साहब के पास थे दो कुत्ते. उनका रोब ही निराला ! मैंने उन्हें कभी भौंकते नहीं सुना. आसपास के कुत्ते भौंकते रहते, पर वे ध्यान नहीं देते थे. लोग निकलते, पर वे झपटते भी नहीं थे. कभी मैंने उनकी एक धीमी गुर्राहट ही सुनी होगी. वे बैठे रहते या घूमते रहते. फाटक खुला होता, तो भी वे बाहर नहीं निकलते थे. बड़े रोबीले, अहंकारी और आत्मतुष्ट.यह कुत्ता उन सर्वहारा कुत्तों पर भौंकता भी हैऔर उनकी आवाज़ में आवाज़ भी मिलाता है. कहता है-‘मैं तुममें शामिल हूं.‘ उच्चवर्गीय झूठा रोब भीऔर संकट के आभास पर सर्वहारा के साथ भी- यह चरित्र है इस कुत्ते का. यह मध्यवर्गीय चरित्र है. यह मध्यवर्गीय कुत्ता है. उच्चवर्गीय होने का ढोंग भी करता है और सर्वहारा के साथ मिलकर भौंकता भी है. तीसरे दिन रात को हम लौटे तो देखा,कुत्ता त्रस्त पड़ा है. हमारी आहट पर वह भौंका नहीं,थोड़ा-सा मरी आवाज़ में गुर्राया. आसपास वे आवारा कुत्ते भौंक रहे थे, पर यह उनके साथ भौंकानहीं. थोड़ा गुर्राया और फिर निढाल पड़ गया. मैंने मेजबान से कहा,“आज तुम्हारा कुत्ता बहुत शांत है.“मेजबान ने बताया, “आज यह बुरी हालत में है. हुआ यह कि नौकर की गफ़लत के कारण यह फाटक से बाहर निकल गया. वे दोनों कुत्ते तो घात में थे ही. दोनों ने इसे घेर लिया. इसे रगेदा. दोनों इस पर चढ़ बैठे. इसे काटा. हालत ख़राब हो गयी. नौकर इसे बचाकर लाया. तभी से यह सुस्त पड़ा है और घावसहला रहा है. डॉक्टर श्रीवास्तव से कल इसे इंजेक्शन दिलाउंगा.“मैंने कुत्ते की तरफ़ देखा. दीन भाव से पड़ा था.मैंने अन्दाज़ लगाया. हुआ यों होगा-यह अकड़ से फाटक के बाहर निकला होगा. उन कुत्तोंपर भौंका होगा. उन कुत्तों ने कहा होगा-“अबे, अपना वर्ग नहीं पहचानता. ढोंग रचता है. ये पट्टा और ज़ंजीर लगाये हैं. मुफ़्त का खाता है. लॉन पर टहलता है. हमें ठसक दिखाता है. पर रात को जब किसी आसन्न संकट पर हम भौंकते हैं, तो तू भी हमारे साथ हो जाता है. संकट में हमारे साथ है, मगर यों हम पर भौंकेगा. हममें से है तो निकल बाहर. छोड़ यह पट्टा और ज़ंजीर. छोड़ यह आराम. घूरे पर पड़ा अन्न खा या चुराकर रोटी खा. धूल में लोट.“ यह फिर भौंका होगा. इस पर वे कुत्ते झपटे होंगे. यह कहकर-‘अच्छा ढोंगी. दग़ाबाज़, अभी तेरे झूठे दर्प का अहंकार नष्ट किए देते हैं.‘इसे रगेदा, पटका, काटा और धूल खिलायी.कुत्ता चुपचाप पड़ा अपने सही वर्ग के बारे में चिन्तन कर रहा है.

दिल क्यू मचलता है 'आशीष'

अभी नफरत है मुहब्बत का कहर भी आएगा ओ होगी मेरी, मेरी चाहत का असर भी आएगा क्या जाने किस जहां मे हुआ है गुम वो मुकम्मल तलाश होगी तो नजर...